Parivartan- Ek Lakshya
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जब तक वक्त सुनहरा था
तेरे दर पर पहरा था
फरियादें ही फरियादें थीं
लेकिन तब तू बहरा था……..
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मद सरिता उफनाई थी तब
टूट गए थे तट बंधन सब
डूब रहे थे पास पड़ोसी
तू चौथे तल बैठा था
फरियादें ही फरियादें थीं
लेकिन तब तू बहरा था
जब तक वक्त सुनहरा था ……..
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बदला वक्त मिटीं वो यादें
आयी गयीं हुईं फरियादें
सबने अपनी रह पकड़ ली
तू बैठा है ,बैठा था .
फरियादें ही फरियादें थीं
लेकिन तब तू बहरा था
जब तक वक्त सुनहरा था …………
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बदल गयीं साडी तस्वीरें
सुखद हुईं अब भाग्य लकीरें
देख छगन अब मगन घूमता
दहसत में कल रहता था .
फरियादें ही फरियादें थीं
लेकिन तब तू बहरा था
जब तक वक्त सुनहरा था ………..
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